
नमस्कार दोस्तो, दोस्तो आज भी बहुत लोगो का मानना है कि हमारे भारत देश का जो विकास हुआ है वह सब अंग्रेजो की देन है। परन्तु दोस्तो क्या आप इस बत से सहमत है? दोस्तो हमारे भारत को यूं ही सोने की चिडियाॅ नही कहा जाता था, हमारे भारत में अपार धन - संपत्ति मौजूद था। इसी का फायदा उठाने अंग्रेज भारत में व्यापार करने आए और भारतीय व्यापारियों को ही लूटने लगे और लगातार भारतीय व्यापारियों का शोषण करते रहें। अंग्रेज अलग - अलग हथकंडे अपनाकर लगातार भारतीय व्यापारियों को लूटने लगे।
अंग्रेज भारत में मौजूद अपार धन संपदा का फायदा उठाकर स्वयं का विकास करते रहे। अंग्रेजो के समय की कहानियाॅ तो आपने बहुत सुनी होगी। लगभग 200 सालो तक के अपने राज में अंग्रेजो ने भारत को बेहिसाब दर्द दिए। सोने की चिड़ियाॅ कहलाने वाले भारत देश को ऐसी स्थिति पर लाकर खड़ा कर दिया कि अब यहाॅ कि अर्थव्यवस्था को ठीक - ठीक बनाए रखने के लिए कर्ज लेने की नौबत आ जाती है। आज रूपये की कीमत भी बहुत गिर गई है। अंग्रेजो के राज में 1रू बराबर 1 डाॅलर हुआ करता था परन्तु अब 1 डाॅलर की कीमत 70 रू. पार कर गयी है। दोस्तो हम सबको पता है कि भारत की संपत्ति को कई लूटेरे लूट कर ले गए। परन्तु क्या कभी आपने सोचा है कि अंग्रेज आखिर भारत से कितनी संपत्ति लूट कर ले गए और अंग्रेजो ने भारत को किस तरह लूटा? आइये जानते है इन सभी सवालो के जवाब।
भारतीय अर्थशास्त्री उत्शा पटनायक ने पिछली 2 शताब्दी के आंकड़ो का गहन् अध्ययन करके पुस्तक लिखी जिसका प्रकाशन कोलंबिया यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा किया गया। इस रिसर्च पेपर के अनुसार अंग्रेज भारत से 45 त्रिलियन डाॅलर अर्थात लगभग 32 लाख अरब रू की संपत्ति लूट कर ले गए। ये सारी संपत्ति सन् 1765 - 1938 के बीच लूटे गए थे। आइये दोस्तो जानते है इतनी बड़ी संपत्ति अंग्रेज किस तरह लूट ले गए।
अंग्रेजी शासन (ईस्ट इंडिया कंपनी) ने भारत पर कई तरह के कर (टैक्स) लगाए, खासतौर पर यह कर भारतीय व्यापारियों और आम नागरिको पर लगाए गए। कर (टैक्स) से प्राप्त पैसो से ईस्ट इंडिया कंपनी की आमदनी बढ़ती गई। कर (टैक्स) से प्राप्त आमदनी की एक तिहाई हिस्से का उपयोग अंग्रेज भारतीय व्यापारियों से समान खरीदने के लिए करते थे अर्थात् भारतीयों के दिए कर (टैक्स) के एक हिस्से से ही अंग्रेज भारतीयो से समान खरीदते थे। इस प्रकार अंग्रेज भारतीय समानो का मुफ्त में उपयोग करते थे। समान खरीदने के लिए अंग्रेजो को खुद के पैसो का उपयोग नहीं करना पड़ता था। इन सभी बातों पर उत्शा पटनायक नामक भारतीय अर्थशास्त्री ने गहन् अध्ययन कर बताया। इससे पहले किसी भी रिसर्च रिपोर्ट में ब्रिटिश काल के कामकाजो पर इतने गहन् तरीके से अध्ययन नहीं किया गया था।
रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार भारतीयो द्वारा दिए कर से सस्ते दामो में भारतीय व्यापारियों से ही समान खरीदा जाता था। इन समानो को ब्रिटेन में निर्यात कर इस्तेमाल किया जाता था तथा शेष समान को दूसरे देशो में बेचा जाता था। मतलब यह कि मुफ्त के समान को इस्तेमाल भी किया जाता था और बेचा भी जाता था। भारत से मुफ्त में मिले समानो के निर्यात के कारण ब्रिटेन को यूरोप के बाकि देषो से बहुत ज्यादा मुनाफा होने लगा। इस तरह मुफ्त के समान से अंग्रेजो को शत् प्रतिषत् मुनाफा हुआ और लगातार ब्रिटेन का विकास होता गया।
भारतीय अर्थशास्त्री उत्शा पटनायक ने सन् 1765 - 1938 के बीच 190 सालो में भारत से लूटी गयी संपत्ति का गणना किया और जो अनुमान निकल कर आया उस पर 5% कर लगाया। इस प्रकार सन् 1765 - 1938 के बीच 190 सालो में अंग्रजो द्वारा भारत से लूटी गयी संपत्ति का अनुमान लगाया गया यह संपत्ति थी 44.6 त्रिलियन डाॅलर।
दोस्तो अब तो आपको पता चल ही गया होगा कि अंग्रजो ने भारत का विकास नहीं किया है बल्कि भारत ने अंग्रजो का विकास किया है। दोस्तो अगर यह आर्टिकल आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तो के साथ भी शेयर करिये और हमारे फेसबूक पेज को लाइक करिये ऐसी ही चटपटी आर्टिकल्स के लिए....