सूख गया 24000 साल पुराना अराल सागर...


    अराल सागर कजाखस्तान और उज्बेकिस्तानकी सीमाओं में स्थित है। अराल सागर दुनिया का चैाथा सबसे बड़ा झील माना जाता था इसी कारण इस झील को सागर भी कहा जाता है। सन् 1960 में अराल सागर का क्षेत्रफल 68000 वर्ग किण्मीण् था परन्तु वर्तमान में इस संपूर्ण क्षेत्रफल का सिर्फ 10 फीसदी ही शेष बचा है। 1960 में अराल सागर की अधिकतम गहराई 102 मीटर थी परन्तु अब सिर्फ 42 मीटर ही शेष रह गई है। परिणामस्वरूप अराल सागर का पूर्वी भाग रेगिस्तान में बदल गया। प्रश्न यह उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जिसकी वजह से यह खूबसूरत सागर रेगिस्तान में बदल गया तो आइये दोस्तो जानते है अराल सागर के सूख जाने का कुछ प्रमुख कारण।

       अराल सागर एक ऐसा सागर जो कुछ दशक पहले पानी से लबालब भरा हुआ था परन्तु अचानक ऐसा क्या हो गया कि इस सागर का 90 फीसदी भाग सूख गया और वर्तमान में सिर्फ 10 फीसदी भाग में ही पानी भरा हुआ हैघ् वर्तमान में इस सागर का 90 फीसदी भाग रेगिस्तान बन चुका है। कुछ दशक पहले यह पूरी जगह चारो ओर से पानी से घिरा हुआ था परन्तु अब इस जगह पर चारो ओर रेत ही रेत और नमक के टीले दिखाई देते है। आखिर ऐसी कौन सी वजह है जिसके कारण इस सागर का 90 फीसदी भाग सूख गया। आइये दोस्तो जानते है इस अराल सागर के बारे में विस्तार से।

      आमू नदी और सीर नदी अराल सागर में विसर्जित होने वाली दो प्रमुख नदियाॅ थी। इन दोनो नदियों एवं वर्षा  जल के कारण अराल सागर में पानी भरा रहता था। परन्तु सन् 1960 के दशक  में सोवियत प्रशासन इन नदियों के पानी का उपयोग मरुद्भूमि में सिंचाई कार्य में करने लगे। मुख्य रुप से यह सिंचाई कार्य कपास आदि के फसलो में किया जाता था। चूॅकि कपास की खेती के लिए सर्वाधिक मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है इस कारण सन् 1980 के आते तक अराल सागर में आमू नदी और सीर नदी का पानी बहुत कम मात्रा में विसर्जित होने लगा जिसकी वजह से अराल सागर में पानी की मात्रा में कमी होने लगी। इस वजह से यह झील सिकुड़ता जा रहा है। इस कारण यह झील अपने मूल आकार का सिर्फ 10 फीसदी ही शेष रह गया है।


     अराल सागर के उत्तरी भाग को बचाएं रखने के लिए कजाखस्तान ने सन् 2005 में बांध परियोजना पूरी की जिससे सन् 2008 में झील के पानी का स्तर सन् 2003 की तुलना में 12 मीटर तक बढ़ गया। कजाखस्तान का यह प्रयास कुछ स्तर तक सफल भी रहा परन्तु अराल सागर को अब पहले जैसा नही बनाया जा सकता क्योंकि अब नदियों में भी पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध नही है जिससे इस सागर को पुनः भरा जा सके।

      दोस्तो मनुष्य जाति अपने स्वार्थ पूर्ती के लिए प्रकृति से छेड़छाड़ कर रही है जिसका परिणाम बहुत ही घातक हो सकता है। अराल सागर का सिकुड़ना इसका सटीक उदाहरण है। 1960 के दशक में सोवियत प्रशासन ने पैदावार में बढ़ोतरी के लिए आमू और सीर नदी के पानी का उपयोग मरुद्भूमि में सिंचाई के लिए करने लगे जिसकी वजह से अराल सागर का 90 फीसदी भाग सूख चुका है। दोस्तो अगर हम प्रकृति का संरक्षण नही करेंगे तो एक समय ऐसा आएगा कि प्रकृति हमें संरक्षित नही करेगी और विभिन्न प्रकार की प्राकृतिक आपदाए आ सकती है। दोस्तो अगर यह आर्टिकल आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तो के साथ भी शेयर करिये और हमारे फेसबूक पेज को लाइक करिये ऐसी ही चटपटी आर्टिकल्स के लिए.... 


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