युद्ध की स्थिति इतनी दुखद और विनाशकारी होती है कि चाहे कोई भी देश जीते या हारे नुकसान तो दोनों पक्षों का होता है। द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान एक ऐसा ही भयानक मंज़र देखने को मिला जब अमेरिका ने जापान के दो प्रमुख शहरों हिरोशिमा और नागासाकी में परमाणु बम से हमला किया था। इन दोनों शहरों में हुई बमबारी से जापान को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ और उनके बहुत सारे सैनिकों सहित 2 लाख लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। दोस्तों प्रश्न यह बनता है कि अमेरिका ने आखिर जापान के इन दोनों शहरों को ही क्यों चुना और ऐसी क्या वजह थी जिसके कारण अमेरिका को इतने खतरनाक परमाणु बम का सहारा लेना पड़ा ? आइए दोस्तों जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब और इस बमबारी से संबंधित कुछ रोचक बातें।
द्वितीय विश्वयुद्ध की यह लड़ाई दो समूहों के बीच थी। पहले समूह एक्सिस पावर जिसमें जर्मनी, इटली, जापान, हंगरी जैसे और भी बहुत सारे देश शामिल थे। वहीं दूसरी ओर एलाइड पावर में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया और बहुत सारे देश शामिल थे। हिटलर की मृत्यु हो जाने से जर्मनी की नाज़ी सेना कमजोर हो गई और आत्मसमर्पण कर गई। जर्मनी के युद्ध से हट जाने से एक्सिस पावर एलाइड पावर की तुलना में कमजोर होने लगी। हालांकि जापान जैसी मजबूत देश अभी भी एक्सिस पावर में थी। परंतु जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता गया जापान की शक्तियां भी कमजोर होने लगी। फिर भी जापान के राजा हीरोहीतो आत्मसमर्पण करने के लिए तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि हम अपनी आखरी सैनिक तक लड़ेंगे और हार नहीं मानेंगे। इस तरह द्वितीय विश्व युद्ध लगातार चलता रहा और दोनों पक्षो को नुकसान होता रहा। ऐसी स्थिति में जापान को रोकने और द्वितीय विश्व युद्ध को खत्म करने के लिए अमेरिका को कुछ बड़ा कारनामा करना था। 16 जुलाई 1945 को अमेरिका ने परमाणु बम बनाकर उसका सफल परीक्षण भी कर लिया। इसी समय जापान भी ऑपरेशन डाऊनफाल के नाम से अमेरिका पर बड़ा हमला करने की तैयारी में था। इसकी खबर अमेरिका के राष्ट्रपति हैरी ट्रूमन को मिली तो उसने अपने देश के बड़े अधिकारियों से मिलकर जापान पर परमाणु हमले की तैयारी शुरू कर दी।
परमाणु हमला करने से पहले देश को किसी दूसरे देश से सहमति लेनी पड़ती है इसलिए अमेरिका ने यूनाइटेड किंगडम से परमाणु हमले की सहमति ले ली।
पहला परमाणु हमला :
6 अगस्त 1945 को 8:45 में अमेरिका ने एयरक्राफ्ट द्वारा जापान के हिरोशिमा में बम गिरा दिया। इस बम को एयरक्राफ्ट से जमीन पर पहुंचने में कुल 44 सेकंड लगे थे। इस बम का नाम "लिटिल ब्वॉय" रखा गया था। इस परमाणु हमले से हिरोशिमा के लगभग 80,000 लोग मारे गए। चूंकि जापान का यह हिरोशिमा शहर सैनिक महत्व वाला था इस कारण यहां पर सर्वप्रथम परमाणु हमला किया गया। इस परमाणु हमले से हिरोशिमा की लगभग 30% आबादी खत्म हो गई।
दूसरा परमाणु हमला :
9 अगस्त 1945 को 11:02 पर अमेरिका ने जापान के नागासाकी पर एक और परमाणु हमला कर दिया। हालांकि यह दूसरा परमाणु बम जापान के औद्योगिक शहर कोकुरा में गिराना था परंतु खराब मौसम की वजह से यह दूसरा बम नागासाकी में ही गिराना पड़ा। यह दूसरा परमाणु बम नागासाकी की जमीन से 500 फीट ऊपर ही फट गया। आसपास पहाड़ होने की वजह से इस दूसरे बम का प्रभाव उतना ना रहा जितना की खतरनाक प्रभाव हिरोशिमा पर गिराए गए बम का था। इस दूसरे परमाणु बम का नाम "फैट मैन" रखा गया था। इस दूसरे परमाणु हमले से 40,000 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी इसके अलावा रेडिएशन की वजह से और भी अनेक लोग मारे गए।
हिरोशिमा एवं नागासाकी में हुए इस परमाणु हमले के बाद जापान के राजा हीरोहीतो ने 14 अगस्त 1945 को अमेरिका के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। ऐसा कहा जाता है कि अगर जापान अभी भी आत्मसमर्पण नहीं करता तो जापान पर एक और तीसरा परमाणु हमला अमेरिका 19 अगस्त को करने वाला था।
1945 में जापान के हिरोशिमा एवं नागासाकी पर हुए इन दो खतरनाक परमाणु हमले के बाद भी 1964 में जापान ने विश्व खेल जगत की सबसे बड़ी इवेंट टोक्यो ओलंपिक की मेजबानी की थी। दोस्तों अगर यह आर्टिकल आपको पसंद आया है तो अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कीजिए और हमारे फेसबुक पेज को लाइक कीजिए ऐसे ही चटपटी, रहस्यमयी मजेदार आर्टिकल्स के लिए......