जानिए विश्व के सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय के बारे में...

इंग्लैंड में स्थित कैंब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय हमेशा से ही विश्वप्रसिद्ध रहा है। देश-विदेश से अनेकों लोग वहां अध्ययन करने की लालसा रखते हैं लेकिन कुछ लोगों का ही यह सपना पूरा हो पाता है। दोस्तों आज हम बात करेंगे विश्व की सबसे प्राचीन प्रथम विश्वविद्यालय के बारे में।

    विश्व का सबसे प्राचीन विश्वविद्यालय तक्षशिला है जो कि भारत में ईसा के 700 साल पहले गंधार राज्य के तक्षशिला में स्थापित किया गया था। वर्तमान में यह स्थान भारत विभाजन के कारण पाकिस्तान के रावलपिंडी जिले में है। वर्तमान में यह विश्वविद्यालय खंडहर बन चुका है। आइए दोस्तों जानते हैं भारत की इस प्राचीन विश्वविद्यालय तक्षशिला के बारे में विस्तार से कुछ मजेदार जानकारी।

    तक्षशिला विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए एक परीक्षा पास करनी होती थी। यह परीक्षा बहुत ही कठिन होता था बहुत कम विद्यार्थी ही इस परीक्षा में सफल हो पाते थे। प्राचीन भारत में तक्षशिला में 60 से भी ज्यादा पाठ्यक्रमों की पढ़ाई होती थी जिनमें से कुछ पाठ्यक्रम निम्नानुसार है -

  • वेद
  • आयुर्वेद
  • संगीत
  • नृत्य 
  • राजनीति 
  • दर्शन 
  • सर्जरी 
  • गणित 
  • विज्ञान 
  • युद्ध कला 
  • तीरंदाजी कला 
  • खगोल 
  • अर्थशास्त्र 
  • चिकित्सा 
  • व्याकरण 
  • शस्त्र संचालन 
  • मनोविज्ञान 
  • कृषि 
  • योग विज्ञान
आदि.......
   
       तक्षशिला में देश विदेशों से आए 10,000 से भी अधिक विद्यार्थियों ने अध्ययन किया। 500 ईसा पूर्व जब दुनिया में चिकित्सा शास्त्र की परंपरा भी नहीं थी तब तक्षशिला आयुर्वेद विज्ञान का सबसे बड़ा केंद्र था। अनेक असाध्य रोगों का इलाज यहां आसानी से एवं जड़ी-बूटियों की सहायता से किया जाता था।

    आचार्य चाणक्य जिसको विष्णुगुप्त और कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन संस्कृत भाषाविद् और व्याकरणविद् पणिनीः एवं चरक संहिता के रचयिता चरक तथा इसके अलावा और भी बहुत सारे विद्वान तक्षशिला विश्वविद्यालय के ही विद्यार्थी थे।

   चाणक्य तक्षशिला विश्वविद्यालय के स्नातक और अध्यापक थे। चाणक्य के शिष्यों में से चंद्रगुप्त मौर्य सर्वाधिक प्रसिद्ध हुआ। चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरु के साथ मिलकर मौर्य साम्राज्य की स्थापना किया।
   
‌‌   सातवीं सदी ईसा पूर्व से पांचवी सदी तक तक्षशिला विश्वविद्यालय बहुत अच्छी तरह से चल रहा था लेकिन छठवीं सदी के शुरुआत तक विदेशी हमलावरों ने इस प्राचीन विश्वविद्यालय को पूरी तरह से नष्ट कर दिया।
Share:

No comments:

Post a Comment

Like Us on Facebook

Followers

Recent Posts