₹ 1.47 लाख करोड़ की फ़ैल सिटी। भारत का पहला प्राइवेट सिटी कैसे और क्यों फ़ैल हो गया...?

हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (एचसीसी) के चेयरमैन अजीत गुलाबचंद ने एचसीसी कंपनी के साथ महाराष्ट्र के सहयाद्री पर्वत के बीच में एक ड्रीम प्रोजेक्ट लवासा सिटी बनाने का निर्णय किया। इस ड्रीम प्रोजेक्ट लवासा सिटी में 5 सबटाउन्स बनाने की प्लानिंग थी जिनमें से प्रत्येक टाउन की एक अपनी ही विशेषता थी। लवासा सिटी में बहुत सारे सुंदर घर एवं पर्यटन के लिए आकर्षण का केंद्र बनाने की प्लानिंग थी। लवासा प्रोजेक्ट 25000 एकड़ के क्षेत्रफल में बनाया जा रहा था। उस समय लवासा प्रोजेक्ट पूरे भारत में सूर्खियों पर था, यह उस समय की सबसे बड़ी प्रोजेक्ट थी। बहुत सारे लोगों ने इस प्रोजेक्ट में अपने पैसे इन्वेस्ट किए थे। लवासा सिटी प्रोजेक्ट 2 लाख लोगों के हिसाब से प्लान किया गया था लेकिन आज की तारीख में यहां पर 20 हजार लोग भी नहीं रहते। इस सिटी को बनाने के लिए अरबों रुपए लगाए गए थे। लेकिन आखिर ऐसा क्या हुआ कि इतने बड़े प्रोजेक्ट जो कि 2 लाख लोगों के लिए बनाए गए थे वहां आज 20 हजार लोग भी नहीं है.....? आखिर क्या वजह थी जिसके कारण यह प्रोजेक्ट अभी तक सफल नहीं हो पाया.....? आइए जानते हैं ड्रीम प्रोजेक्ट लवासा सिटी के बारे में।

   साल 2008-9 तक लवासा सिटी की कुछ शहर बनकर तैयार भी हो गए थे लेकिन 2010 में लवासा सिटी प्रोजेक्ट पर काले बादल मंडराने शुरू हो गए मतलब इस प्रोजेक्ट पर आगे कार्य करना मुश्किल होता गया। दरअसल बात ऐसी है कि इस तरह के प्रोजेक्ट पर कार्य करने के लिए बहुत सारे नियमों का पालन करना होता है एवं बहुत सारी अनुमति भी लेनी पड़ती है। लवासा सिटी के लिए राज्य शासन से तो अनुमति ली गई थी लेकिन केंद्रीय शासन से इसकी अनुमति नहीं ली गई थी। लोगों की बहुत सारी शिकायतें आने के पश्चात आखिरकार पर्यावरण मंत्रालय ने लवासा सिटी प्रोजेक्ट को नोटिस भेजा जिससे इस प्रोजेक्ट कार्य को स्थगित करना पड़ा। लवासा सिटी प्रोजेक्ट एवं महाराष्ट्र सरकार का कहना था कि लवासा सिटी समुद्र सतह से 100 मीटर की ऊंचाई से कम है इसलिए इस प्रोजेक्ट को हिल डेवलपमेंट के नियम के अंतर्गत नहीं रखा जा सकता इसलिए केंद्र शासन की अनुमति लेना अनिवार्य नहीं है। लेकिन केंद्रीय शासन के अनुसार लवासा सिटी प्रोजेक्ट समुद्र सतह से 100 मीटर अधिक है एवं इसके लिए केंद्र शासन की अनुमति लेना भी अनिवार्य है। उस दौरान पर्यावरण मंत्रालय का यह भी नियम था कि यदि कोई भी प्रोजेक्ट 50 करोड़ से अधिक की कीमत का होता है तो उस समय अनुमति लेना अनिवार्य था लेकिन लवासा सिटी प्रोजेक्ट में ऐसा नहीं किया गया था।

    इसके अलावा और भी कुछ नियम है जिसका उल्लंघन लवासा सिटी में किया जा रहा था जैसे हिल डेवलपमेंट अथॉरिटी के अनुसार किसी भी हिल स्टेशन क्षेत्र में 3 मंजिल से ज्यादा की बिल्डिंग नहीं बनानी चाहिए लेकिन लवासा सिटी में कुछ 6 मंजिल की बिल्डिंग भी बनाई गई थी। इस तरह से इस प्रोजेक्ट की मुश्किलें और भी बढ़ती गई।

   ड्रीम प्रोजेक्ट लवासा सिटी जो कि हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (एचसीसी) के अंडर प्रोजेक्ट थी इस समय यह भी कर्ज में डूबी हुई थी इस वजह से एचसीसी भी इस प्रोजेक्ट को वापस से संभाल नहीं पाई और इस प्रोजेक्ट को बंद करना पड़ा। वर्तमान में लवासा सिटी प्रोजेक्ट एक पर्यटन बिंदु बना हुआ है जहां आसपास एवं मुंबई, पुणे सिटी के लोग पिकनिक के लिए एवं फोटोशूट आदि कार्यो के लिए आते जाते रहते हैं।

    वर्तमान में लवासा सिटी में विजिट करने के लिए आपको ₹500 का एंट्री पास देना होता है। यह पैसे इसलिए लिए जाते हैं ताकि लवासा में कुछ सबसिटीस बची हुई है उसका संरक्षण एवं रखरखाव अच्छे से किया जा सके।

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