केरल राज्य के तिरुअनंतपुरम में स्थित पद्मनाभस्वामी का यह मंदिर भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की प्रतिमा शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजित है। त्रावणकोर के राजाओं ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। राजा मार्तंड वर्मा ने इस मंदिर का निर्माण कराया था।
आजादी के पूर्व त्रावणकोर के राजाओं ने यहां 1947 तक राज किया। आजादी के बाद इस जगह को भारत में विलय कर दिया गया इसके बाद भी सरकार ने पद्मनाभस्वामी मंदिर को अपने कब्जे में नहीं लिया और इस मंदिर को त्रावणकोर के शाही परिवार को ही सौंप दिया। तब से इस मंदिर का संचालन शाही परिवार के अधीनस्थ एक प्राइवेट ट्रस्ट कर रहा है।
रहस्य :-
इस मंदिर के तहखाने में 6 रहस्यमयी दरवाजे हैं। सन् 1908 में पहली बार इन दरवाजों को खोलने का प्रयास किया गया परंतु जैसे ही पहला दरवाजा खोलने की कोशिश की गई वहां लोगों के सामने कोबरा सांपों का एक झुंड आ गया और दरवाजा खोला नहीं जा सका। सन 1931 में पुनः इस दरवाजे को खोलने का प्रयास किया गया तब उस समय यह दरवाजा खुल गया और दरवाजे के उस पार जो था उसे देखकर सबके होश उड़ गए। दरवाजे के उस पार करोड़ों के मूल्य की बेशकीमती खजाने थे। लोगों ने कहा यह खजाना दिव्य है इसे इंसानों को नहीं छूना चाहिए और फिर पहले दरवाजे को वापस से बंद कर दिया गया और बाकी के दरवाजे को भी नहीं खोला गया। बाकी के दरवाजों को क्यों नहीं खोला गया यह किसी को नहीं पता।
सन् 2011 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के रहस्यमयी दरवाजों को खोलने का आदेश दिया गया। एक के बाद एक मंदिर के तहखाने के 5 रहस्यमयी दरवाजों को खोला गया और दरवाजे के उस पार बेशकीमती सोने-चांदी मिलते गए। पांचों रहस्यमयी दरवाजे के अंदर से मिले खजाने की कुल कीमत लगभग-लगभग 22 सौ करोड़ डॉलर आंकी गई थी। इन खजानों में पुराने सोने के सिक्के, ऐतिहासिक स्वर्ण मूर्तियां, मुकुट आदि पाए गए थे।
पांच दरवाजों को खोलने के बाद अब बारी थी छठे दरवाजे की। दोस्तों छठवां रहस्यमयी दरवाजा बहुत ही रोचक और अद्भुत है इसके बारे में हम आपको अगले आर्टिकल में विस्तार से जानकारी देंगे।
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